Fissure Meaning in Hindi

फिशर (Fissure) के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज

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फिशर (Fissure in Hindi) एक आम लेकिन बहुत कष्टदायक स्थिति है, जिससे हजारों लोग प्रभावित होते हैं। यह समस्या गुदा क्षेत्र में एक छोटी सी दरार के रूप में उत्पन्न होती है, जो दर्द, जलन और कभी-कभी रक्तस्राव का कारण बनती है। यदि इस स्थिति का सही समय पर इलाज न किया जाए, तो यह समस्या पुरानी हो सकती है और व्यक्ति को अधिक असुविधा का सामना करना पड़ सकता है। इस लेख में हम फिशर के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ विस्तार से समझेंगे। साथ ही, हम “difference between piles and fissure in hindi” को भी स्पष्ट करेंगे ताकि लोग इन दोनों समस्याओं में फर्क समझ सकें।

फिशर क्या होता है? (Fissure Meaning in Hindi)

फिशर (Fissure in Hindi) का हिंदी में अर्थ दरार होता है। जब यह दरार गुदा क्षेत्र में होती है, तो इसे “Anal Fissure” कहा जाता है। यह आमतौर पर तब होता है जब किसी कारणवश गुदा क्षेत्र की त्वचा फट जाती है या कट जाती है। यह समस्या ज्यादातर कठोर मल त्याग करने के कारण होती है। “Fissure in Hindi” का मतलब जानना जरूरी है क्योंकि यह एक आम स्वास्थ्य समस्या है जिससे बहुत से लोग पीड़ित होते हैं।

फिशर के लक्षण (Symptoms of Fissure in Hindi)

फिशर के लक्षण Symptoms of Fissure in Hindi निम्नलिखित हो सकते हैं, जिनकी पहचान कर समय रहते इलाज किया जा सकता है:

  1. तेज दर्द – मल त्याग के दौरान और बाद में अत्यधिक तेज दर्द महसूस होता है।
  2. जलन और खुजली – गुदा क्षेत्र में जलन और खुजली हो सकती है।
  3. रक्तस्राव (Bleeding) – मल त्याग के समय हल्का या तेज रक्तस्राव हो सकता है।
  4. सूजन – गुदा के पास हल्की सूजन देखी जा सकती है, जो असहजता बढ़ा सकती है।
  5. मल त्याग में कठिनाई – दर्द के कारण व्यक्ति मल त्याग करने से डरता है, जिससे कब्ज की समस्या भी हो सकती है।
  6. गुदा क्षेत्र में गांठ या कठोरता – कुछ मामलों में गुदा क्षेत्र में एक छोटी गांठ बन सकती है, जो समस्या को अधिक दर्दनाक बना सकती है।

एनल फिशर के कारण और जोखिम कारक (Anal Fissure Causes & Risks Factors in Hindi)

फिशर कई कारणों से हो सकता है, जिनमें प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  1. कब्ज (Constipation) – यदि कोई व्यक्ति लगातार कठोर मल त्याग कर रहा है, तो गुदा क्षेत्र की त्वचा फट सकती है।
  2. दस्त (Diarrhea) – लगातार पतला दस्त होने से गुदा क्षेत्र की त्वचा कमजोर हो जाती है और फिशर का कारण बन सकती है।
  3. अत्यधिक जोर लगाना – मल त्याग के दौरान अत्यधिक जोर लगाने से गुदा में दरार आ सकती है।
  4. प्रसव (Childbirth) – महिलाओं में प्रसव के दौरान अत्यधिक दबाव के कारण गुदा क्षेत्र प्रभावित हो सकता है और फिशर हो सकता है।
  5. कम पानी पीना – शरीर में पानी की कमी से कब्ज हो सकता है, जिससे फिशर की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  6. मसालेदार भोजन – अत्यधिक मसालेदार और तला-भुना भोजन करने से यह समस्या हो सकती है।
  7. अन्य बीमारियाँ – कुछ बीमारियाँ जैसे क्रोहन रोग (Crohn’s Disease) या आईबीडी (IBD) भी फिशर का कारण बन सकती हैं।
  8. मोटापा और अनियमित जीवनशैली – वजन अधिक होने और शारीरिक गतिविधियों की कमी से भी यह समस्या हो सकती है।

एनल फिशर से बचाव (Prevention of Anal Fissure in Hindi)

  1. फाइबर युक्त आहार लें – आहार में फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज और दालें शामिल करें।
  2. पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं – शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए दिन में 8-10 गिलास पानी पिएं।
  3. लंबे समय तक शौचालय में बैठें – अत्यधिक जोर लगाने से बचें।
  4. व्यायाम करें – रोजाना हल्का व्यायाम या योग करें, जिससे पाचन तंत्र बेहतर रहेगा।
  5. साफ-सफाई का ध्यान रखें – गुदा क्षेत्र को साफ और सूखा रखें।
  6. तेज मसालेदार भोजन से बचें – मसालेदार और तले-भुने भोजन से परहेज करें।
  7. तनाव कम करें – मानसिक तनाव को कम करने के लिए ध्यान और मेडिटेशन करें।

एनल फिशर में क्या खाना चाहिए? (What to Eat During Anal Fissure in Hindi?)

खाने योग्य चीजें:

  1. हरी सब्जियाँ – पालक, मेथी, लौकी, गाजर आदि।
  2. फाइबर युक्त फल – पपीता, केला, सेब, नाशपाती।
  3. साबुत अनाज – दलिया, ब्राउन राइस, ओट्स।
  4. दही और छाछ – पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए।
  5. नट्स और बीज – बादाम, अखरोट, अलसी के बीज।
  6. पर्याप्त मात्रा में पानी – कब्ज से बचने के लिए रोजाना 8-10 गिलास पानी।

परहेज करने योग्य चीजें:

  1. मसालेदार और तला-भुना भोजन।
  2. फास्ट फूड और जंक फूड।
  3. चाय, कॉफी और शराब।
  4. अत्यधिक मीठे खाद्य पदार्थ।
  5. रेड मीट और प्रोसेस्ड फूड।

फिशर का घरेलू उपचार (Home Remedies for Anal Fissure in Hindi)

  1. गुनगुने पानी में बैठना (Sitz Bath) – दिन में 2-3 बार गुनगुने पानी में 10-15 मिनट बैठने से दर्द और जलन कम होती है।
  2. एलोवेरा जेल – प्रभावित क्षेत्र पर एलोवेरा जेल लगाने से जलन और सूजन कम होती है।
  3. नारियल तेल – नारियल तेल एक प्राकृतिक मॉइस्चराइजर है, जो गुदा क्षेत्र की त्वचा को नरम बनाए रखता है।
  4. त्रिफला चूर्ण – रात में त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से कब्ज दूर होती है और फिशर में आराम मिलता है।

 

फिशर होने के कारण (Causes of Fissure in Hindi)

फिशर कई कारणों Causes of Fissure in Hindi से हो सकता है, जिनमें शामिल हैं:

  1. कब्ज (Constipation) – कठोर मल त्याग करने से गुदा की त्वचा में दरार आ सकती है।
  2. दस्त (Diarrhea) – लगातार दस्त होने से गुदा क्षेत्र कमजोर हो सकता है।
  3. अत्यधिक जोर लगाना – मल त्याग के दौरान अधिक जोर लगाने से यह समस्या हो सकती है।
  4. प्रसव (Childbirth) – महिलाओं को प्रसव के दौरान अत्यधिक दबाव के कारण फिशर हो सकता है।
  5. कम पानी पीना – शरीर में पानी की कमी से कब्ज हो सकता है, जिससे फिशर का खतरा बढ़ता है।
  6. मसालेदार भोजन – ज्यादा तीखा और मसालेदार भोजन करने से यह समस्या हो सकती है।

फिशर का इलाज (Treatment of Fissure in Hindi)

फिशर के इलाज Treatment of Fissure in Hindi के कई तरीके हैं, जो व्यक्ति की स्थिति पर निर्भर करते हैं।

1. घरेलू उपाय

  • गुनगुने पानी में बैठना (Sitz Bath) – दिन में 2-3 बार गुनगुने पानी में 10-15 मिनट बैठें।
  • फाइबर युक्त भोजन – आहार में हरी सब्जियाँ, फल और फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करें।
  • पानी ज्यादा पिएं – कब्ज से बचने के लिए दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं।

2. दवाइयाँ (Medicines for Fissure in Hindi)

  • दर्द निवारक क्रीम – डॉक्टर की सलाह पर विशेष क्रीम लगाएं।
  • स्टूल सॉफ्टनर (Stool Softener) – मल को नरम बनाने के लिए डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवा लें।
  • एनाल्जेसिक टेबलेट्स – दर्द कम करने के लिए पेनकिलर ली जा सकती है।

3. आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic Treatment for Fissure in Hindi)

  • त्रिफला चूर्ण – कब्ज दूर करने के लिए रात में त्रिफला चूर्ण का सेवन करें।
  • घी और हल्दी – घी में हल्दी मिलाकर गुदा क्षेत्र में लगाने से आराम मिलता है।
  • अश्वगंधा और त्रिफला – ये दोनों आयुर्वेदिक औषधियाँ पाचन में सुधार करती हैं।

4. सर्जरी (Surgery for Fissure in Hindi)

यदि घरेलू उपाय और दवाइयों से आराम न मिले, तो डॉक्टर लैटरल इंटरनल स्फिंक्टरोटोमी (LIS) जैसी सर्जरी की सलाह दे सकते हैं।

बवासीर और फिशर में अंतर (Difference Between Piles and Fissure in Hindi)

बवासीर (Piles) फिशर (Fissure)
यह नसों की सूजन होती है। यह गुदा क्षेत्र में दरार होती है।
दर्द कम होता है। दर्द बहुत ज्यादा होता है।
खून ज्यादा मात्रा में आता है। खून बहुत कम आता है।
मस्से बन सकते हैं। कोई मस्सा नहीं बनता।

फिशर में परहेज (Precautions for Fissure in Hindi)

  • कब्ज होने दें।
  • मसालेदार भोजन से बचें।
  • ज्यादा देर तक शौचालय में बैठें।
  • व्यायाम करें और सक्रिय रहें।
  • भरपूर पानी पिएं।

फिशर होने के कारण (Causes of Fissure in Hindi)

फिशर कई कारणों से हो सकता है, जिनमें प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  1. कब्ज (Constipation) – यदि कोई व्यक्ति लगातार कठोर मल त्याग कर रहा है, तो गुदा क्षेत्र की त्वचा फट सकती है।
  2. दस्त (Diarrhea) – लगातार पतला दस्त होने से गुदा क्षेत्र की त्वचा कमजोर हो जाती है और फिशर का कारण बन सकती है।
  3. अत्यधिक जोर लगाना – मल त्याग के दौरान अत्यधिक जोर लगाने से गुदा में दरार आ सकती है।
  4. प्रसव (Childbirth) – महिलाओं में प्रसव के दौरान अत्यधिक दबाव के कारण गुदा क्षेत्र प्रभावित हो सकता है और फिशर हो सकता है।
  5. कम पानी पीना – शरीर में पानी की कमी से कब्ज हो सकता है, जिससे फिशर की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  6. मसालेदार भोजन – अत्यधिक मसालेदार और तला-भुना भोजन करने से यह समस्या हो सकती है।
  7. अन्य बीमारियाँ – कुछ बीमारियाँ जैसे क्रोहन रोग (Crohn’s Disease) या आईबीडी (IBD) भी फिशर का कारण बन सकती हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. फिशर कितने दिनों में ठीक हो सकता है? आमतौर पर 4-6 सप्ताह में ठीक हो सकता है, लेकिन सही इलाज जरूरी है।
  2. क्या फिशर खुद ठीक हो सकता है? हां, यदि खानपान सही रखा जाए और दवाइयों का उपयोग किया जाए।
  3. फिशर की समस्या को स्थायी रूप से कैसे ठीक करें? सर्जरी और सही जीवनशैली अपनाने से यह समस्या स्थायी रूप से ठीक हो सकती है।
  4. क्या फिशर कैंसर का कारण बन सकता है? नहीं, लेकिन अगर लंबे समय तक बना रहे तो डॉक्टर से सलाह लें।
  5. क्या फिशर में योग और व्यायाम मददगार हैं? हां, नियमित व्यायाम और योग से कब्ज दूर होती है और फिशर ठीक होता है।
  6. क्या फिशर से छुटकारा पाने के लिए कोई घरेलू उपाय है? गुनगुने पानी में बैठना, फाइबर युक्त भोजन, और पानी पीना मददगार हैं।
  7. फिशर में सबसे अच्छी दवा कौन सी है? डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दर्द निवारक क्रीम और स्टूल सॉफ्टनर।
  8. क्या बच्चे को भी फिशर हो सकता है? हां, कब्ज के कारण बच्चों में भी फिशर हो सकता है।
  9. क्या फिशर संक्रामक होता है? नहीं, यह एक गैर-संक्रामक समस्या है।
  10. क्या आयुर्वेदिक उपचार से फिशर ठीक हो सकता है? हां, त्रिफला, हल्दी, घी और अश्वगंधा जैसे उपचार मददगार हैं।

निष्कर्ष

फिशर एक आम समस्या है, लेकिन सही इलाज, परहेज और जीवनशैली अपनाने से इसे ठीक किया जा सकता है। अगर समस्या ज्यादा बढ़ जाए तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।